➤ सीटू से संबद्ध आंगनबाड़ी वर्कर्स–हेल्पर्स ने जोगिंदरनगर में जोरदार प्रदर्शन किया
➤ केंद्र सरकार को SDM कार्यालय के माध्यम से भेजा मांगों से जुड़ा ज्ञापन
➤ सरकारी कर्मचारी दर्जा, पेंशन–ग्रेच्युटी और अतिरिक्त मानदेय की मांग उठी
मंडी जिले के जोगिंदरनगर में सीटू से संबन्धित आंगनबाड़ी वर्कर्स एवं हेल्पर्स यूनियन की चौंतड़ा प्रोजेक्ट कमेटी ने आज अपनी विभिन्न लंबित मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के बाद यूनियन ने एसडीएम कार्यालय के माध्यम से केंद्र सरकार की महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी को मांग पत्र भेजा। प्रदर्शन में लगभग 100 आंगनबाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स ने हिस्सा लिया।
यूनियन की प्रधान तमन्ना, उपप्रधान अर्चना, और सचिव रानी देवी ने कहा कि आंगनबाड़ी वर्कर्स व हेल्पर्स को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए तथा हरियाणा मॉडल पर मानदेय बढ़ाया जाए। उन्होंने मांग रखी कि वर्कर्स और हेल्पर्स को पेंशन, ग्रेच्युटी, सेवाकाल आधारित वेतनमान, और अतिरिक्त विभागीय कार्यों पर अलग मानदेय दिया जाए।
यूनियन ने यह भी कहा कि बूथ लेवल अधिकारी के रूप में दिए जाने वाले कार्यों के दिनों में आंगनबाड़ी कार्यों से छूट मिलनी चाहिए। साथ ही FRS प्रमाणीकरण के अनिवार्य कार्यान्वयन को तुरंत रोकने की भी मांग उठाई।
प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कुशाल भारद्वाज ने कहा कि केंद्र सरकार ने 44 श्रम कानूनों को समाप्त कर 4 श्रम संहिताएं लागू कर मजदूर विरोधी रास्ता अपनाया है। उनके अनुसार स्कीम वर्करो से कई प्रकार के कार्य लिए जा रहे हैं, लेकिन बहुत कम मानदेय दिया जा रहा है।
उन्होंने ये भी कहा कि वर्ष 2013 में हुए 45वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश के अनुसार आंगनबाड़ी कर्मियों को नियमित किया जाना चाहिए था, पर यह लागू नहीं हुआ।
उन्होंने आरोप लगाया कि आईसीडीएस योजना के बजट में बार-बार कटौती करना और 50वीं वर्षगांठ को नजरअंदाज करना यह दिखाता है कि सरकार वर्कर्स की मांगों को लेकर गंभीर नहीं है।
उन्होंने कहा कि देश में आईसीडीएस को 50 वर्ष हो चुके हैं और 26 लाख वर्कर्स व हेल्पर्स, देश भर में 8 करोड़ बच्चों को सेवा दे रही हैं। उन्होंने मांग की कि सरकार लाभार्थियों को कैश ट्रांसफर, आधार लिंकिंग, डिजिटलीकरण के नाम पर लक्ष्यीकरण–निगरानी और केंद्रीकृत रसोई जैसे कदम वापस ले, जो योजना को कमजोर करते हैं।



